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लेखनी कहानी -11-Sep-2022 सौतेला

भाग 15 
गोलियों की आवाज सुनकर संपत के घर के सामने भीड़ एकत्रित हो गई । पुलिस वाले तुरंत गाड़ी ले आये और गायत्री को तुरंत अस्पताल ले गए । डॉक्टर ने गायत्री को मृत घोषित कर दिया । संपत की आंखों के आगे अंधेरा छा गया और वह मूर्छित होकर गिर पड़ा । जब उसे होश आया तब वह अस्पताल के एक पलंग पर लेटा था और उसे ड्रिप चढ़ाई जा रही थी । 
ईश्वर की लीला भी कितनी विचित्र है । वह नेक इंसानों की परीक्षाऐं कुछ ज्यादा ही लेता है । देखने में आया है कि नेक इंसानों का जीवन अधिकतर कष्टों में ही गुजरता है । संभवतः ईश्वर ऐसे इंसानों को कष्टों की भट्टी में तपा तपाकर 24 कैरट सोना बनाते हों । पर इतने कष्ट सहने पर आदमी के मानसिक रूप से टूटने की संभावना भी बहुत बढ़ जाती है । संपत की जिंदगी उतार चढावों से भरपूर रही थी । बचपन में ही उसकी मां गुजर गई थी । नई मां आई । यद्यपि नई मां ने उसे अपने सगे पुत्र से अधिक प्रेम दिया पर सौतेला का ठप्पा तो उस पर लग ही गया था और जमाने ने इसी का फायदा उठाकर मां और बेटे के मध्य में एक खाई बना दी थी । वो तो ईश्वर ने उसकी जिंदगी में गायत्री को भेज दिया जिसने न केवल उस खाई को पाटा अपितु मां की ममता से उसे फिर से मालामाल कर दिया था । आज वही गायत्री सदा सदा के लिए खामोश हो गई थी । संपत को लगा कि जैसे उसकी धड़कनें बंद हो गई हैं । सब कुछ उजड़ गया था उसका । अभी थोड़ी देर पहले उसका गुलशन कितना आबाद था । पल भर में ही वह वीरान हो गया । आबाद करने में कितना वक्त लगता है मगर वीरान होने में एक पल भी नहीं लगता है । 

संपत राम पर डाकुओं के हमले का समाचार शीघ्र ही पूरे इलाके में फैल गया । पुलिस के उच्च अधिकारी , शहर के गणमान्य नागरिक और आम लोग उसे देखने अस्पताल आने लगे । भीड़ को देखकर अस्पताल के सामने पुलिस लगानी पड़ी । नई मां, बाबूजी , दौलत , अनीता , सुमन सब लोग दौड़े दौड़े आये । संपत का जिगरी वकील रामदास भी अपनी पत्नी गौरी के साथ आया । सबको सामने देखकर संपत स्वयं को संयत नहीं कर सका और नई मां की बांहों में एक बच्चे की तरह फूट फूटकर रो पड़ा । नई मां भी चीत्कार कर उठी । 

संपत की बहादुरी पर सरकार ने उसका प्रमोशन कर दिया । अब वह डीएसपी बन गया था । डीएसपी बनने के कारण उसका स्थानांतरण होना स्वाभाविक था । संपत भी नहीं चाहता था कि जिस जगह उसकी दुनिया वीरान हो गई हो उस जगह वह और अधिक रहे । इसलिए वह ऐसी पोस्टिंग चाहता था जिससे वह आम जनता से दूर रहे । उसे पुलिस बटालियन में लगा दिया गया । वहां कोई बहुत ज्यादा काम नहीं था और आम जनता से सीधा जुड़ाव भी नहीं था इसलिए वह शिवम के साथ अधिक वक्त गुजारने लगा । 

नई मां , दौलत, सुमन, बाबूजी कब तक उसके साथ रहते ? दौलत की नौकरी भी पुलिस में ही लग गई थी । वह कांस्टेबल बन गया था । उसे भी नौकरी पर जाना था । नई मां रह गई थी संपत के पास बाकी सब लोग चले गये थे । नई मां से शिवम खूब हिलमिल गया था । वह अम्मा अम्मा बोलने लगा । अम्मा शब्द सुनकर नई मां निहाल हो गई । तोतली जुबान से अपने लिए संबोधन सुनना दुनिया की सबसे बड़ी दौलत होती है । नई मां को लगा कि उसका पुत्र दौलत फिर से छोटा हो गया है और वह शिवम के रूप में उसकी झोली में आनंद की बरसात कर रहा है । 

एक दिन संपत ऑफिस का कुछ काम कर रहा था और नई मां बाथरूम में थी । शिवम खेलता खेलता किचन में घुस गया और उसने गैस के चूल्हे का बर्नर घुमा दिया । गैस लीक होने लगी । संपत को जब गैस की गंध महसूस हुई तो वह भागा भागा रसोई में गया और बर्नर को बंद किया । खिड़की दरवाजे सब खोल दिए । हादसा होते होते रह गया । जब नई मां बाथरूम से बाहर आई तो संपत ने उसे शिवम की कारस्तानी बताई । नई मां के मुंह से इतना ही निकला "आज तो ईश्वर ने हम सबको बचा लिया" । उसने आगे कहा "पर बेटा, ऐसा तो आगे और हो सकता है । मैं हमेशा के लिए तो यहां बैठी नहीं रहूंगी । शिवम को अकेला भी नहीं छोड़ा जा सकता है । इसलिए मेरा कहना मान और शादी कर ले । घर संभालने वाली आ जाएगी तो मेरी चिंता भी खत्म हो जाएगी । शिवम को मां भी मिल जाएगी । क्यों सही है ना" ? नई मां के चेहरे पर उल्लास चमक रहा था । मां अपने बेटे का घर संसार बसा हुआ देखकर कितनी खुश होती है । है ना ? 

नई मां की बात संपत के कलेजे पर हथौड़े की तरह लगी । वह गायत्री को भुला नहीं पाया था और भुलाना चाहता भी नहीं था । गायत्री जैसी देवी इस दुनिया में हैं ये विश्वास गायत्री से मिलने के बाद ही हो सकता है । उसका स्थान और कोई कैसे ले सकता था ? संपत ने मां को कुछ नहीं कहा इसलिए मां ने समझा कि संपत राजी हो गया है । वह बोली "मेरे पास बहुत से रिश्ते आ रहे हैं । तेरे लायक जो भी कोई रिश्ता होगा, तुझे बता दूंगी" । बेटे का घर बसाने की उसे बहुत जल्दी मची हुई थी । 

अब संपत चुप नहीं रह सका "मां, मैं शादी करना नहीं चाहता । शिवम को सौतेली मां लाना नहीं चाहता । सौतेली मां लाकर उसका जीवन नर्क नहीं बनाना चाहता हूं" । संपत की इस बात पर नई मां थोड़ी नाराज हुई और बोली "मैं भी तो तेरी सौतेली मां हूं । तुझे तो मैंने अपने दौलत से ज्यादा प्यार दिया है । क्या तू इस बात को भूल गया है" ? 

संपत को अपनी भूल का अहसास हो गया । वह बोला "तुम सही कहती हो मां । तुम सौतेली नहीं, सगी से भी बढ़कर हो । तुम और गायत्री आम औरतें जैसी नहीं हो । ईश्वर ने तुम्हें विशेष रूप से बनाया है जिससे वह लोगों को बता सके कि नारी कैसी होती है ? पर सब औरतें आप जैसी नहीं होती हैं मां । अगर शिवम के साथ उसने सौतेला व्यवहार किया तो फिर मैं सहन नहीं कर पाऊंगा" संपत के स्वर में आशंका थी । 
"पर बेटा, ये पहाड़ सी जिंदगी अकेले कैसे कटेगी ? तू तो ऑफिस में रहेगा , पीछे से संपत को कौन संभालेगा ? अगर आज जैसी घटना फिर हो गई तो" ? मां की चिंता जायज थी । इसने संपत को सोचने पर विवश कर दिया । शिवम को एक मां की आवश्यकता है पर उसे एक पत्नी की नहीं । उसके हृदय में तो गायत्री बैठी हुई है उसे कैसे निकालेगा वह ? 
अब तो इसी विषय पर अक्सर चर्चा होती रहती थी । नई मां का एक ही काम था , संपत की शादी कराना । उसने ठान लिया था कि वह उसकी फिर से शादी करवाकर ही मानेगी । 
क्रमश: 
श्री हरि 
17.5.23 

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3 Comments

Nice 👍🏼

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Abhinav ji

17-May-2023 09:11 AM

Very nice 👍

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Hari Shanker Goyal "Hari"

17-May-2023 09:56 PM

🙏🙏🙏

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